1.धरती उन लोगों को भी आश्रय देती है,जो उसे खोदते हैं। इसी तरह तुम भी उन लोगों की बातें सहन करो,जो तुम्हें सताते हैं क्योंकि बड़प्पन इसी मैं है।
2.दूसरे लोग तुम्हें हानि पहुंचाएं,उसके लिए तुम क्षमा कर दो और यदि तुम उसे भुला सको तो और भी अच्छा हैं।
3.जो पीड़ा देने वालों को बदले में पीड़ा देते हैं,बुद्धिमान लोग उनको सम्मान नहीं देते,किंतु जो अपने शत्रुओं को क्षमा कर देते हैं,वे स्वर्ण के समान बहुमूल्य समझे जाते हैं।
4.संसार -त्यागी पुरुषों से भी बढकर संत वह है,जो अपनी निंदा करने वालों की कटु वाणी को सहन कर लेता है।
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