Tuesday, September 10, 2013

       उत्तम क्षमा धर्म 
आज का विचार 10.9.2013 से.3 रोहणी दिल्ली-85







नरस्याभरणं रूपं, रूपास्याभरणं गुण:
गुणस्याभरणं ज्ञानम्, ज्ञानस्याभरणं क्षमा 

परम पूज्य श्रमण 108 श्री विशोक सागर जी मुनिराज ने आज 10.9.2013 श्री दिगंबर जैन पार्श्वनाथ मंदिर,दिल्ली-85 में मुनि श्री ने आज कहा कि मनुष्य का आभूषण रूप है, रूप का आभूषण गुण है, गुण का आभूषण ज्ञान है, ज्ञान का आभूषण क्षमा है.
शरीर कि सुंदरता में वृद्धि करने वाले पदार्थ को अलंकार या आभूषण कहते हैं.

विशेष > श्रमण मुनि श्री 108 विशोक सागर जी ससंघ श्री दिगंबर जैन पार्श्वनाथ मंदिर में विराजमान है.
9से 18सितम्बर तक पर्युषण पर्व [दस लक्षण ] मनाये जा रहा है. 

सम्पर्क सूत्र-9899948475, 9810570747,0958249254

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