Friday, September 6, 2013

आज का विचार 06.9.2013 से.3 रोहणी दिल्ली-85
आर्त ध्यानरतोमूढो, न करोत्यात्मनो हितम 
तेनासौ सुमहत क्लेशं, परत्रेह च गच्छति 

परम पूज्य श्रमण 108 श्री विशोक सागर जी मुनिराज ने आज 06.9.2013 श्री दिगंबर जैन पार्श्वनाथ मंदिर,दिल्ली-85 में मुनि श्री ने आज कहा कि आर्त्तध्यान में लवलीन मूढ़ आत्मा अपना हित नहीं कर सकता है,अत: या संसारी प्राणी इस लोक में और परलोक में बहुत भारी दु:ख प्राप्त करता है.
पीड़ा को आर्त्त कहते हैं और पीड़ा से उत्पन्न दु:ख में चित्त का लीनहो जाना, आत्म स्वरूप को भूल कर केवल इन्द्रियजन्य सुख में रात-दिन लवलीन रहना आर्त्तध्यान है. 

विशेष > श्रमण मुनि श्री 108 विशोक सागर जी ससंघ श्री दिगंबर जैन पार्श्वनाथ मंदिर में विराजमान है.
9से 18सितम्बर तक पर्युषण पर्व [दस लक्षण ] मनाये जायेगें. 
सम्पर्क सूत्र-9899948475, 9810570747,0958249254

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