Wednesday, May 8, 2013

आज का विचार 8.5.2013 विकासपुरी नई दिल्ली 58
वैराग्य सारं दुरितापहारं, मुक्त्यंगनादान विधौ समर्थम
पापाह्वृक्षस्य महाकुठारम, सौख्याकरम त्वं भज सर्वकालम 

परम पूज्य श्रमण 108 श्री विशोक सागर जी मुनिराज ने आज 8.5.2013 श्री दिगंबर जैन मंदिर विकासपुरी,नई दिल्ली58 में कहा कि हे भव्य ! तू सदा उस श्रेष्ठ वैराग्य की उपासना कर जो पाप को दूर करने वाला है, मुक्ति स्त्री के देने में समर्थ है, पाप नामक वृक्ष के लिए कुठार है और सुख की खान हैं.
विशेष > श्रमण विशोक सागर जी मुनिराज ससंघ दिगंबर जैन मंदिर नियर एम-11 विकासपुरी नई दिल्ली-18 से 9.5.2013को सुबह 6.00 बजे विहार करके श्री भगवान आदिनाथ दिगंबर जैन मंदिर अशोका एन्क्लेव पीरागढ़ी रोहतक रोड़ दिल्ली-87 पहुचेगें.10मई तक विराजमान रहेगे. सम्पर्क सूत्र >9818446363
सम्पर्क सूत्र >9212281807,09582492542



















1 comment:

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