Wednesday, March 20, 2013












आज का विचार 20.3.2013 नजफगढ नई दिल्ली
आहार निद्राभय मैथुनानि समानि चैतानि न्रणा पशुनाम
ज्ञानं नराणामधिको विशेषो ज्ञानेन हीना पशुभि: समाना:

परम पूज्य श्रमण 108 श्री विशोक सागर जी मुनिराज ने आज 20.3.2013 श्री दिगंबर जैन पार्श्वनाथ मंदिर नजफगढ नई दिल्ली-43 में कहा कि >आहार,निद्रा, भय-आपत्ति मैथुन और संतान उत्पन्न करना आदि सभी क्रियाएं पशुओं और मनुष्य में समान रूप से विद्यमान रहती हैं. इस द्रष्टि से देखा जाए तो पशु और मानव में कोई अंतर नहीं रह जाता, परन्तु मनुष्यों को पशुओं से अलग करने वाला गुण है-धरम. अत: जो व्यक्ति अपने नैतिक गुणों का विकास नहीं करते वे पशु के समान ही होते हैं.
परम पूज्य श्रमण श्री विशोक सागर जी ससंघ श्री अग्रवाल दिगंबर जैन पार्श्वनाथ मन्दिर मेन बाजार नजफ़गढ नई दिल्ली43 में 28 मार्च तक विराजमान है.
सम्पर्क सूत्र >9213432359,09899406854,09582732349
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