आज का विचार 11.3.2013 श्री दिगंबर जैन महावीर मंदिर,बी-7, भगबान महावीर मार्ग वसंत कुंज नई दिल्ली
तक्षकस्य विषं दंते मक्षिकायास्तु मस्तके
वृश्चिकस्य विषं पुच्छे सवांगे दुर्जने विषं
परम पूज्य श्रमण 108 श्री विशोक सागर जी मुनिराज ने आज 11.3.2013 श्री दिगंबर जैन महावीर मंदिर,बी-7वसंत कुंज, नई दिल्ली में कहा कि सर्प के दन्त में विष होता है, मक्खी के मस्तक में विष होता है, बिच्छू की पूंछ में विष होता है,परन्तु दुर्जन के तो सभी अंगों और सारे शरीर में विष ही विष भरा रहता है.
दुर्जन प्रिय वचन बोलता है परन्तु इससे उसका विश्वास नहीं कर लेना चाहिए क्योंकि उसकी जीभ में मधुरता होती है, परन्तु मन में कपटरुपी विष भरा होता है. विश्वास जमाकर नुकसान पहुंचाता है,जबकि सर्प, मक्खी और बिच्छू से मनुष्य पूर्व से ही सावधान रहता है.
परम पूज्य श्रमण श्री विशोक सागर जी ससंघ श्री दिगंबर जैन मंदिर,बी-7, भगवान् महावीर मार्ग वसंत कुंज, नई दिल्ली-110070 में विराजमान है.
सम्पर्क सूत्र > 09899406854,09582041206,09312099136
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