आज का विचार 12.3.2013 श्री दिगंबर जैन महावीर मंदिर,बी-7, भगबान महावीर मार्ग वसंत कुंज नई दिल्ली
दानेन पाणिरन तु कंकनेन स्नानेनशुद्धिर्न तु चन्दनेन
मानेन तृप्तिरन तु भोजनेन, ज्ञानेन, मुक्तिर्न तु मंडनेन
परम पूज्य श्रमण 108 श्री विशोक सागर जी मुनिराज ने आज 12.3.2013 श्री दिगंबर जैन महावीर मंदिर,बी-7वसंत कुंज, नई दिल्ली में कहा कि दान, स्नान, मानसिक शान्ति और मुक्ति के लिए दिखावे की चीजों की आलोचना की है. इंसान के धर्म-कर्म में दान का बहुत अधिक महत्त्व है, पर दान न करके कोई हाथों में कंगन धारण करे और चाहे कि उसके हाथों की शोभा को हर कोई देखे और प्रशंसा करे तो यह संभव नहीं. हाथों की शोभा दान से है कंगना से नहीं. इसी तरह शरीर की शुद्धि स्नान करने से होती है कोई बदन पर चन्दन का लेप लगाकर रखे और सोचे कि उसकी सुगंध की वजह से लोग प्रशंसा करेंगे, शरीर की शुद्धता की बात करेंगे तो यह संभव नहीं,मानसिक तृप्ति आदर-सम्मान से, ज्ञान से व्यक्ति की मुक्ति होती है.
परम पूज्य श्रमण श्री विशोक सागर जी ससंघ श्री दिगंबर जैन मंदिरध्यान तीर्थ केन्द्र,1पार्क स्टीट चर्च रोड़ नई दिल्ली-110070 के लिए 13.3.2013को 7.30 बजे विहार होगा.वहां पर प.पू. आचार्य आनन्द सागर जी मौनप्रिय से मंगल मिलन होगा.
सम्पर्क सूत्र > 09899406854,09582041206,093120
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