Wednesday, March 6, 2013


आज का विचार 06.3.2013 श्री दिगंबर जैन पार्श्वनाथ मंदिर एन.10 ग्रीन पार्क दिल्ली
लोभाश्चेदगुणेन  किं पिशुनता  यद्यस्ति  किं  पातकै:
सत्यं चेत्तपसा च किं शुचि मनो यद्यस्ति तीर्थेन किं. 
सौजन्यं यदि किं गुनै: सुमहिमा यद्यस्ति किं मंडनै :
सद्विद्या यदि किं धनैरपयशो यद्यस्ति किं मृत्युना..
 परम पूज्य श्रमण 108 श्री विशोक सागर जी मुनिराज ने आज 06.3.2013 श्री दिगंबर जैन पार्श्वनाथ मंदिर एन.10ग्रीन पार्क दिल्ली में कहा कि इस संसार में लोभ सबसे बड़ा अवगुण है, चुगलखोरी सबसे बड़ा पाप है, सत्य सबसे बड़ा तप और मन की पवित्रता सभी तीर्थों के सेवन से उत्तम है.सज्जनता सबसे बड़ा गुण है, यश सर्वोत्तम आभूषण है, उत्तम विद्या सर्वोतकृष्ट धन है और अपयश मृत्यु के समान सर्वाधिक कष्टदायक है.  





7.3.2013को सुबह 7.15 पर परम पूज्य श्रमण श्री विशोक सागर जी ससंघ का -श्री दिगंबर जैन मंदिर से.4 आर.के. पुरम दिल्ली के लिए विहार होगा.7.8 मार्च को वहीं रहेंगे .
सम्पर्क सूत्र > 09899406854,09582041206,09312099136

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