आज का विचार 05.3.2013 श्री दिगंबर जैन पार्श्वनाथ मंदिर एन.10 ग्रीन पार्क दिल्ली
यददूरं यददुराराध्यं यच्च दूरे व्यवस्थितम
तत्सर्वं तपसा साध्यं तपो हि दुरतिक्रमम
परम पूज्य श्रमण 108 श्री विशोक सागर जी मुनिराज ने आज 04.3.2013 श्री दिगंबर जैन पार्श्वनाथ मंदिर एन.10ग्रीन पार्क दिल्ली में कहा कि जो अत्यंत दूर है कि उसे पाना सर्वथा असंभव प्रतीत होता है तथा जो मनुष्य की सामर्थ्य-सीमा से भी बहुत दूर है, वह सब तपस्या से प्राप्त किया जा सकता है,क्योंकि तप की शक्ति असीम है.इसलिए तप सर्वश्रेष्ठ है.तप द्वारा असंभव को संभव बनाया जा सकता है. तप से न केवल अनेक सिद्धियां मिलती हैं अपितु परमात्मा पद की प्राप्ति भी होती है.
तप से कठिन से कठिन कार्य सहज बन जाते हैं.तप से मृत्यु पर भी विजय पाई जा सकती है. तप का अर्थ है विपत्तियां आने पर भी धर्म को न छोड़ना.
परम पूज्य श्रमण श्री विशोक सागर जी ससंघ श्री दिगंबर जैन पार्श्वनाथ मंदिर एन.10 ग्रीन पार्क दिल्ली में विराजमान है.
सम्पर्क सूत्र > 09899406854,09582041206,093120
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