Saturday, March 2, 2013








आज का विचार 02.3.2013 श्री दिगंबर जैन मुनिसुव्रतनाथ डी.एल.एफ पार्ट2 गुड़गाँव [हरियाणा]
पुस्तकेषु च या विद्या परहस्तेषु यद्धनम
उत्पन्नेषु च कार्येषु न सा विद्या न तद्धनम

परम पूज्य श्रमण 108 श्री विशोक सागर जी मुनिराज ने आज 02.3.2013 श्री दिगंबर जैन आदिनाथ मंदिर से.4 गुड़गाँव [हरियाणा] में कहा कि जो विद्या पुस्तकों में है और जो धन दूसरों के हाथ में है, काम पड़ने पर न वह विद्या काम देती है और न वह धन किसी काम आता है.
विद्या वही है जो मनुष्य ने सीखकर अपना ली हो और पैसा वही है जो अपने पास हो . इससे विपरीत पुस्तक के पृष्ठो में संयोजी विद्या और दूसरेके पास रखे धन पर जो सहारा करता है वह धोखा खाता है. 
परम पूज्य श्रमण श्री विशोक सागर जी ससंघ दोपहर 03.3.2013को 2.30 बजे श्री दिगंबर जैन मुनिसुव्रतनाथ मंदिर डी.एल.एफ.पार्ट2 गुडगाँवा से अहिंसा स्थल महरौली दिल्ली के लिए विहार होगा.
3.3.2013को प्रात:08.00 श्रमण श्री विशोक सागर जी ससंघ का आचार्य श्री विद्यानंद जी & एलाचार्य प्रज्ञ सागर जी से श्री कुंद-कुंद भारती दिल्ली में मंगल मिलन होगा. 
सम्पर्क सूत्र > 09891611433,09582041206,09312099136

1 comment:

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