आज का विचार 01.3.2013 श्री दिगंबर जैन आदिनाथ मंदिर से.4 गुड़गाँव [हरियाणा]
जन्म-जन्मन्यभ्यस्तम दानमध्ययनम तप:
तेनैवाभ्यासयोगेन तदेवाभ्यस्यते पुन:
परम पूज्य श्रमण 108 श्री विशोक सागर जी मुनिराज ने आज 01.3.2013 श्री दिगंबर जैन आदिनाथ मंदिर से.4 गुड़गाँव [हरियाणा] में कहा कि जन्म-जन्मान्तर से प्राणी ने दान देने तथा शास्त्रों के अध्ययन और तप करने का जो अभ्यास किया जाता है,नया शरीर मिलाने पर उसी अभ्यास के कारण ही वह सत्कर्मो की ओर प्रवृत्त होता है.अत: मनुष्य को अपना भावी जन्म सुधारने के लिए इस जन्म में शुभ कर्मो के अनुष्ठान का अभ्यास करना चाहिए.
मनुष्य जैसा कर्म करता है, वैसा ही उसका स्वभाव और अभ्यास बन जाता है. अभ्यास बन जाने के कारण वह अगले जन्म में फिर उसी प्रकार के कर्म करता है, अत: दान, भोगाभ्यास, विद्या अध्ययन, धर्माचरण वगैरह सत्कर्मो को जीवन का अंग बनाना चाहिए .
परम पूज्य श्रमण श्री विशोक सागर जी ससंघ 02.3.2013को प्रात: 7.00 बजे श्री दिगंबर जैन मुनिसुव्रतनाथ मंदिर डी.एल.एफ.पार्ट2 गुडगाँवा के लिए विहार होगा.
सम्पर्क सूत्र > 09891611433,09582041206,093120 99136आज का विचार 01.3.2013 श्री दिगंबर जैन आदिनाथ मंदिर से.4 गुड़गाँव [हरियाणा]
जन्म-जन्मन्यभ्यस्तम दानमध्ययनम तप:
तेनैवाभ्यासयोगेन तदेवाभ्यस्यते पुन:
परम पूज्य श्रमण 108 श्री विशोक सागर जी मुनिराज ने आज 01.3.2013 श्री दिगंबर जैन आदिनाथ मंदिर से.4 गुड़गाँव [हरियाणा] में कहा कि जन्म-जन्मान्तर से प्राणी ने दान देने तथा शास्त्रों के अध्ययन और तप करने का जो अभ्यास किया जाता है,नया शरीर मिलाने पर उसी अभ्यास के कारण ही वह सत्कर्मो की ओर प्रवृत्त होता है.अत: मनुष्य को अपना भावी जन्म सुधारने के लिए इस जन्म में शुभ कर्मो के अनुष्ठान का अभ्यास करना चाहिए.
मनुष्य जैसा कर्म करता है, वैसा ही उसका स्वभाव और अभ्यास बन जाता है. अभ्यास बन जाने के कारण वह अगले जन्म में फिर उसी प्रकार के कर्म करता है, अत: दान, भोगाभ्यास, विद्या अध्ययन, धर्माचरण वगैरह सत्कर्मो को जीवन का अंग बनाना चाहिए .
परम पूज्य श्रमण श्री विशोक सागर जी ससंघ 02.3.2013को प्रात: 7.00 बजे श्री दिगंबर जैन मुनिसुव्रतनाथ मंदिर डी.एल.एफ.पार्ट2 गुडगाँवा के लिए विहार होगा.
सम्पर्क सूत्र > 09891611433,09582041206,093120
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