आज का विचार 27.2.2013 श्री दिगंबर जैन महावीर मंदिर महावीर पार्क गुड़गाँव [हरियाणा]
संसार कटु विषवृक्षस्य द्वे फले अम्रतोपमे
सुभाषितं च सुस्वादु सुजनेति: संग जने
परम पूज्य श्रमण 108 श्री विशोक सागर जी मुनिराज ने आज 27.2.2013 श्री दिगंबर जैन महावीर मंदिर महावीर पार्क गुड़गाँव [हरियाणा] में कहा कि संसाररूपी कड़वे वृक्ष के दो फल हैं, जो अमृत के सामान मधुर होने से ग्रहणीय हैं. प्रथम, सुभाषित अर्थात अच्छा वाक्य, यह बड़ा ही स्वादिष्ट फल है. द्वितीय, साधु पुरुषों का संग इससे भी मनुष्य का कल्याण होता.
संसार को कटु वृक्ष कहा है. इसे विष वृक्ष भी कहते हैं. इस कटु वृक्ष के दो फल कड़वे न होकर अत्यंत मीठे हैं. अमृत के सामान गुणकारी हैं. मधुर वचन और सज्जनों की संगति. मनुष्य को चाहिए कि सदा मीठा ही बोले .
परम पूज्य श्रमण श्री विशोक सागर जी ससंघ 28.2.2013को प्रात: 7.00 बजे श्री दिगंबर जैन मंदिर से.4 गुडगाँवा के लिए विहार होगा.
सम्पर्क सूत्र > 09811025641,09582041206,09312099136
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