Wednesday, January 2, 2013

आज का विचार [2.1.2013] महावीर जी [करोली]राज.
यस्य चित्तं द्र्विभूतम कृपया सर्वजन्तुषु
तस्य ज्ञानेन मोक्षेन किम जटाभस्मलेपनै:

परम पूज्य श्रमण 108 श्री विशोक सागर जी मुनिराज ने आज श्री दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र महावीर जी बड़ा मंदिर मेन मार्केट महावीर जी [करोली] राज. में आज 2.1.2013 में कहा कि दया ऐसा गुण है जिससे दया करने वाले और जिस पर दया की जाती है दोनों को लाभ होता है. मुनि श्री कहते हैंकी जिसका चित्त प्राणियों को संकट में देखकर दया से द्रवित हो जाता है, उसे जटाएं बढ़ाने, भस्म लगाने,ज्ञान प्राप्त करने तथा मोक्ष के लिए प्रयत्नशील होने की कोई आवश्यकता नहींप्राणिमात्र पर दया करना मनुष्य का सबसे बड़ा धर्म है. प्रत्येक मनुष्य के मन में दया की भावना होनी चाहिए.
श्रमण 108 विशोक सागर जी मुनिराज ससंघ का आज 2.1.2012 को दोपहर 2.00बजे अतिशय क्षेत्र महावीर जी से अतिशय क्षेत्र तिजारा जी के लिए विहार हुआ.हिन्डोन,भुसावर,महुआ, राजगढ़,अलवर,होते हुए तिजारा पहुचेगें.
सम्पर्क >राहुल जैन >9772726121-09968132650
कल गिरनार जी की पांचवी टोक पर मुनि प्रबल सागर पर हुये हमले की निंदा करते है एवं समस्त जैन समाज एक होकर ठोस करवाई करे जिससे फिर कभी किसी साधु?श्रावक पर ईएसआई घटना न घटे

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