Thursday, January 17, 2013


आज का विचार 17.1.2013 अलवर [राज.]
दुरागतं  पथि   श्रान्तं   वृथा च   गृहमागतं
अनर्चयित्वा यो भुंक्तेस वै चाण्डाल उच्यते
परम पूज्य श्रमण 108 श्री विशोक सागर जी मुनिराज ने आज 17.1.20.13 को श्री दिगंबर जैन पार्श्वनाथ मंदिर स्कीम 10 अलवर [राज.] में कहा कि दूर से आए हुए परिचित अथवा अपरिचित व्यक्ति को, रास्ता चलने से थके-मांदे को तथा किसी विवशता के कारण आश्रय की इच्छा से घर पर आए व्यक्ति को, बिना खिलाए -पिलाए जो स्वयं खा-पी लेता, वह चाण्डाल कहलाता है.
 घर आये अतिथि का सत्कार करके उसके लिए पैर धोने के लिए जल, बैठने के लिए आसन और शक्ति के अनुसार स्वादिष्ट भोजन विधिपूर्वक देना चाहिए.
परम पूज्य श्रमण श्री विशोक सागर जी ससंघ 21जनवरी तक अलवर में ही रहेगें.
22को अलवर से विहार तिजारा जी के लिए, 25को तिजारा जी में मंगल प्रवेश होगा 
26.जनवरी को तिजारा जी में ही द्वय मुनिराजों का भव्य केशलोंच समारोह 
सम्पर्क सूत्र > 9772726121,8882597474

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