Saturday, January 19, 2013

आज का विचार 19.1.2013 अलवर [राज.]
पठन्ति चतुरो वेदान धर्मशास्त्रान्यनेकाश:
आत्मानं नैव जानन्ति दर्वी पाकरसम यथा 
परम पूज्य श्रमण 108 श्री विशोक सागर जी मुनिराज ने आज 19.1.20.13 को श्री दिगंबर जैन पार्श्वनाथ मंदिर स्कीम 10 अलवर [राज.] में कहा कि जिस प्रकार कलछी पाक में घुसी रहने पर भी उस पाक के रस को नही जानती, उसी प्रकार वेदों और शास्त्रों के पण्डित उनके मंतव्य अर्थात आत्मतत्व को नही जानते. इससे वेदों और शास्त्रों का अध्ययन निरर्थक हो जाता है. वेद-शास्त्रों के अध्ययन की सार्थकता उनके सारतत्व-आत्मज्ञान-को ग्रहण करना है.
वेद ज्ञान का तब तक महत्त्व नहीं जब तक की उसके ज्ञान में इंसान डूब कर आत्मसात न कर ले.
18.1.2013को मुनि विशोक सागर जी अलवर जिला जेल में कैदियों को सम्बोधने गये.
परम पूज्य श्रमण श्री विशोक सागर जी ससंघ 21जनवरी तक अलवर में ही रहेगें.
22को अलवर से विहार तिजारा जी के लिए, 25को तिजारा जी में मंगल प्रवेश होगा 
26.जनवरी को तिजारा जी में ही द्वय मुनिराजों का भव्य केशलोंच समारोह 
सम्पर्क सूत्र > 9772726121,8882597474

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