आज का विचार 15.1.2013 अलवर [राज.]
मणिर्लुंठति पादाग्रे काच: शिरसि धार्यते
क्रयविक्रयवेलायामकाच:काचो मणिरमणि:
परम पूज्य 108 श्रमण विशोक सागर जी मुनिराज ने आज 15.1.2013 को गौशाला- अलवर राज.में कहा कि मणि को पैर की उंगलियों में लुढ़काया जाए और कांच को सिर पर धारण किया जाए,परन्तु खरीद-फरोक्त के समय मणि का मूल्य और होता है तथा शीशे का मूल्य और होता है.
किसी योग्य व्यक्ति को निम्न स्थान पर और अयोग्य व्यक्ति को उच्च पद पर रख देने से उसके मूल्य में किसी प्रकार का परिवर्तन नहीं हो जाता अपितु उससे गलत स्थान पर रखने वाले व्यक्ति की ही निंदा होती है.
जिसकी जो वास्तविकता है. वह कद्रदान के सामने आने पर खुल जाती है.यदि योग्य व्यक्ति परिस्थितियोंवश वुरीअवस्था में है और अयोग्य बहुत अच्छी अवस्था में तो समय आने पर योग्यता और अयोग्यता में भेद हो ही जाएगा.
मुनि संघ का विहार चल रहा है.
16 जनवरी को अलवर में प्रवेश,उपाध्याय श्री निर्भय सागर जी ससंघ से मंगल मिलन होगा देखना न भूले 9.30बजे
25जनवरी 2013को तिजारा जी में मंगल प्रवेश
26जनवरी को मुनि द्वय का तिजारा में भव्य केशलोंच समारोह
विशेष जानकारी के लिए सम्पर्क करे > 09772726121,8882597474
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