आज का विचार 14.1.2013 बढौदामेव तह.लक्ष्मणगढ़ जिला -अलवर [राज.]
अयुक्तं स्वामिनो युक्तं युक्तं नीचस्य दूषणम
अमृतम राहवे मृत्युरविषम शंकर-भूषणं
परम पूज्य 108 श्रमण विशोक सागर जी मुनिराज ने आज 14.1.2013 को श्री दिगम्बर जैन मुनिसुव्रतनाथ मंदिर बढौदामेव तह.लक्ष्मनगढ़-जिला अलवर राज.में कहा कि समर्थ पुरुष के लिए साधारण वस्तु भी भूषणरूप हो जाती है, जबकि नीच पुरुष के लिए सुन्दर वस्तु भी अनुपयुक्त तथा दोषरूप बन जाती है. उदाहरणार्थ,अम्रत राहू के लिए प्राणघातक सिद्ध हुआ, जबकि प्राणघातक विष भी मीरा के लिए अम्रत के रूप आभूषण बन गया . स्पष्ट है की किसी भी वस्तु का महत्त्व वस्तु के प्रयोक्ता व्यक्ति के सन्दर्भ में ही है.
मुनि संघ का विहार चल रहा है.15को गौशाला में
16 जनवरी को अलवर में प्रवेश,उपाध्याय श्री निर्भय सागर जी ससंघ से मंगल मिलन होगा देखना न भूले 9.30बजे
25जनवरी 2013को तिजारा जी में मंगल प्रवेश
26जनवरी को मुनि द्वय का तिजारा में भव्य केशलोंच समारोह
विशेष जानकारी के लिए सम्पर्क करे 09772726121,8882597474
No comments:
Post a Comment