आज का विचार 20.11.2012 बस्सी [जयपुर] रा.
पृथिव्याम त्रीणि रत्नानी जलमन्नं सुभाषितम
मूढऐ: पाषाणखंण्डेषु रत्नसंज्ञा विधीयते
परम पूज्य श्रमण 108 श्री विशोक सागर जी मुनिराज ने आज श्री दिगम्बर जैन पार्श्वनाथ बड़ा मंदिर मेन मार्केट बस्सी [जयपुर] राज. में कहा कि जल, से जीवन, अन्न से पौष्टिकता और शरीर बल मिलता है. जल ही जीवन है और अन्न कार्य करने की क्षमता बढाता है. नीति वचन या मधुर वचन तीसरा रत्न है जो समाज की अच्छी बातों का ज्ञान कराता है. इन तीन रत्नों को भूल कर मनुष्य पत्थर के टुकडो की खूबसूरती के पीछे भागता है.
पृथ्वी पर जो सच्चे अर्थो में रत्न अर्थात मूल्यवान पदार्थ हैं; ये हैं-जल, अन्न और मधुर तथा हितकारी वचन. मुर्ख लोग ही पत्थर के टुकडो को रत्न कहते हैं .
प.पू. श्रमण 108 विशोक सागर जी मुनिराज ससंघ के सानिध्य में 20.11.2012 से 28.11.2012 तक अष्टानहिका पर्व में सिद्धचक्र महामंडल विधान का आयोजन
आप सभी सादर आमंत्रित है
बाहर से विधान में बैठने वालो की आवास एवं भोजन की समुचित व्यवस्था है.
विशेष जानकारी के लिए फोन करे >09772726121 पर
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