Wednesday, November 21, 2012


आज का विचार 21.11.2012 बस्सी [जयपुर] रा.
आत्मापराध वृक्षस्य फलान्येतानि देहिनाम 
दारिद्रयरोगदु:खानि     बंधनव्यसानि     च 
परम पूज्य श्रमण 108 श्री विशोक सागर जी मुनिराज ने आज श्री दिगम्बर जैन पार्श्वनाथ बड़ा मंदिर मेन मार्केट बस्सी [जयपुर] राज. में कहा कि मनुष्य द्वारा किये गये पाप-कर्मो के ही फल हैं-दरिद्रता, दुःख, रोग,बंधन तथा आपत्ति [स्त्री-पुत्रादि की मृत्यु का धन का नाश ] .
  पूर्व, जन्म में किये हुए पापों का फल वर्तमान जन्म में रोग, दु:ख आदि के रूप में मिलता है . रोग, धन का नाश, प्रिय व्यक्ति का वियोग, कुरूपता, चित्त का उद्वेग और सब कार्यो में निराशा-ये सब उसके यहाँ प्रकट होते हैं, जिसने पूर्वजन्म में पुंय नहीं किया है.
प.पू. श्रमण 108 विशोक सागर जी मुनिराज ससंघ के सानिध्य में 20.11.2012 से 28.11.2012 तक अष्टानहिका पर्व में सिद्धचक्र महामंडल विधान का आयोजन
 आप सभी सादर आमंत्रित है
बाहर से विधान में बैठने वालो की आवास एवं भोजन की समुचित व्यवस्था है.
विशेष जानकारी के लिए फोन करे >09772726121 पर

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