Thursday, November 29, 2012

आज का विचार 29.11.2012 बस्सी [जयपुर] राज.
अत्यासंना विनाशाय दूरस्था न फलप्रदा
सेवितव्यम मध्यभागेन राजा वह्निगुर्रू: स्त्रिय:

परम पूज्य श्रमण 108 श्री विशोक सागर जी मुनिराज ने आज श्री दिगम्बर जैन पार्श्वनाथ बड़ा मंदिर मेन मार्केट बस्सी [जयपुर] राज. में कहा कि राजा,अग्नि,गुरु और स्त्रियों की अत्यधिक समीपता अर्थात इनके बहुत अधिक नजदीक रहना विनाश का कारण बन सकता है और इनसे दूर रहने में भी कोई लाभ नहीं रहता . अत: विनाश से बचने और लाभ उठाने के लिए मानव को बीच का रास्ता अपनाना चाहिए . अर्थात न तो इनके नजदीक ही जाएँ और न ही बहुत दूर ही रहें -यही मध्यममार्ग है और यही वांछनीय भी है 
राजा के समान वेशभूषा धारण न करें,उसके अत्यंत निकट न रहें, उसके सामने ऊँचे आसन पर न बैठें . 
नोट >परम पूज्य श्रमण 108 श्री विशोक सागर जी मुनिराज,श्रमण विभंजन सागर जी,क्षु. विश्वपदम सागर जी ससंघ का 4.12.2012 को 2.15 दोपहर में चातुर्मास के बाद महावीर जी के लिए विहार होगा .

हैप्पी न्यू ईयर महावीर जी में मनाया जायेगा .

सभी गुरु भक्त पहुंच कर तीर्थ वंदना कर एवं गुरु का आशीर्बाद प्राप्त कर जीवन को मंगलमय बनाये.
विशेष जानकारी के लिए फोन करे >09772726121

No comments: