Tuesday, November 27, 2012

आज का विचार 27.11.2012 बस्सी [जयपुर] राज.
दूरस्थोपि न दूरस्थो यो यस्य मनसि स्थित:
यो यस्य ह्यदये नास्ति समीपस्थोपि दूरत: 

परम पूज्य श्रमण 108 श्री विशोक सागर जी मुनिराज ने आज श्री दिगम्बर जैन पार्श्वनाथ बड़ा मंदिर मेन मार्केट बस्सी [जयपुर] राज. में कहा कि जिसका जिसके प्रति सच्चा प्रेम है,वह दूर रहकर भी समीप है.इसके विपरीत जिसका जिसके प्रति किसी प्रकार का मानसिक लगाव नहीं है, वह पास-पड़ोस में रहते हुए भी बहुत दूर है. मन का लगाव न होने पर किसी से किसी प्रकार का सम्बन्ध जुड़ ही नहीं पाता . ऐसा व्यक्ति आँखों के सामने रहता हुआ भी उपेक्षित है, जबकि प्रिय व्यक्ति दूर रहते हुए भी सदा आँखों के सामने घूमता रहता है.
परमेश्वर अत्यंत निकट है, इतना, जितना अपना श्वास, परन्तु प्रेम न होने की वजह से वह अत्यंत दूर है.

प.पू. श्रमण 108 विशोक सागर जी मुनिराज ससंघ के सानिध्य में


 
अष्टानहिका पर्व में सिद्धचक्र महामंडल विधान के समापन पर 28.11.2012 को प्रात:6.30 अभिषेक पूजन विधान तदुपरांत विश्व शांति महायज्ञ का आयोजन 


आप सभी सादर आमंत्रित है
बाहर से इस अनुष्ठान में बैठने वालो की आवास एवं भोजन की समुचित व्यवस्था है.
नोट >
परम पूज्य श्रमण 108 श्री विशोक सागर जी मुनिराज,श्रमण विभंजन सागर जी,क्षु. विश्वपदम सागर जी ससंघ का 4.12.2012 को 2.15 दोपहर में चातुर्मास के बाद बस्सी से महावीर जी के लिए विहार होगा    1.1.2013
हैप्पी न्यू ईयर महावीर जी में मनाया जायेगा
.सभी गुरु भक्त पहुंच कर तीर्थ वंदना कर एवं गुरु का आशीर्बाद प्राप्त कर जीवन को मंगलमय बनाये.
विशेष जानकारी के लिए फोन करे >
09772726121

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