Wednesday, July 8, 2009

ईश्वर स्तुति

1.जो मनुष्य प्रभु के गुणों का उत्साहपूर्वक गान करते हैं,उन्हें अपने भले -बुरे कर्मों का दुखद फल नहीं भोगना पड़ता।
2.धन्य है वह मनुष्य,जो आदिपुरुष के पादारविन्द में रत रहता है। जो न किसी से राग करता है और न नफरत,उसे कभी कोई दुःख नहीं होता।
3.जन्म -मरण के समुद्र को वे ही पार कर सकते हैं,जो प्रभु के चरणों की शरण में आ जाते हैं। दूसरे लोग उसे पार नहीं कर सकते।
4.धन -वैभव और इन्द्रिय -सुख के तूफानी समुद्र को वे ही पार कर सकते हैं ,जो उस धर्म सिन्धु मुनीश्वर के चरणों में लीन रहते हैं।

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