आज का विचार 16.10.2013 से.3 रोहणी दिल्ली-85
तृण तुल्यं परद्रव्यं परं च स्वशरीरवत
पररामा समा मातु:, पश्यत याति परम पदम्
परम पूज्य श्रमण 108 श्री विशोक सागर जी मुनिराज ने आज 16.10.2013 श्री दिगंबर जैन पार्श्वनाथ मंदिर,दिल्ली-85 में मुनि श्री ने आज कहा कि जो मानव दूसरों के धन को तृण के समान, दूसरों के शरीर को अपने शरीर के समान और दूसरों की स्त्री को माता का समान देखता है, वही परम पद को प्राप्त होता है.
विशेष > श्रमण मुनि श्री108विशोक सागर जी ससंघ श्री दिगंबर जैन पार्श्वनाथ मंदिर में विराजमान है.
19.10.2013 को णमोकार महामंत्र का अखण्ड 24 घंटे का पाठ एवं 20.10.2013को प्रात: णमोकार महामण्डल विधान का आयोजन
सम्पर्क सूत्र-9899948475, 9810570747,0958249254
तृण तुल्यं परद्रव्यं परं च स्वशरीरवत
पररामा समा मातु:, पश्यत याति परम पदम्
परम पूज्य श्रमण 108 श्री विशोक सागर जी मुनिराज ने आज 16.10.2013 श्री दिगंबर जैन पार्श्वनाथ मंदिर,दिल्ली-85 में मुनि श्री ने आज कहा कि जो मानव दूसरों के धन को तृण के समान, दूसरों के शरीर को अपने शरीर के समान और दूसरों की स्त्री को माता का समान देखता है, वही परम पद को प्राप्त होता है.
विशेष > श्रमण मुनि श्री108विशोक सागर जी ससंघ श्री दिगंबर जैन पार्श्वनाथ मंदिर में विराजमान है.
19.10.2013 को णमोकार महामंत्र का अखण्ड 24 घंटे का पाठ एवं 20.10.2013को प्रात: णमोकार महामण्डल विधान का आयोजन
सम्पर्क सूत्र-9899948475, 9810570747,0958249254
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