आज का विचार 14.10.2013 से.3 रोहणी दिल्ली-85
वचसा वा मनसा वा जाप्य: समाहितस्वान्ते:
शतगुणमादये पुण्यं सहस्रसंख्यं द्वतिये तु
परम पूज्य श्रमण 108 श्री विशोक सागर जी मुनिराज ने आज 14.10.2013 श्री दिगंबर जैन पार्श्वनाथ मंदिर,दिल्ली-85 में मुनि श्री ने आज कहा कि स्थिरचित्त वाले मनुष्यों को वचन अथवा मन से णमोकर मन्त्र का जाप करना चाहिये . वचन से जाप करने में सौ गुणा फल प्राप्त होता है तो मन से जाप करने में हजार गुणा फल होता है.
विशेष > श्रमण मुनि श्री 108 विशोक सागर जी ससंघ श्री दिगंबर जैन पार्श्वनाथ मंदिर में विराजमान है.
सम्पर्क सूत्र-9899948475, 9810570747,0958249254
वचसा वा मनसा वा जाप्य: समाहितस्वान्ते:
शतगुणमादये पुण्यं सहस्रसंख्यं द्वतिये तु
परम पूज्य श्रमण 108 श्री विशोक सागर जी मुनिराज ने आज 14.10.2013 श्री दिगंबर जैन पार्श्वनाथ मंदिर,दिल्ली-85 में मुनि श्री ने आज कहा कि स्थिरचित्त वाले मनुष्यों को वचन अथवा मन से णमोकर मन्त्र का जाप करना चाहिये . वचन से जाप करने में सौ गुणा फल प्राप्त होता है तो मन से जाप करने में हजार गुणा फल होता है.
विशेष > श्रमण मुनि श्री 108 विशोक सागर जी ससंघ श्री दिगंबर जैन पार्श्वनाथ मंदिर में विराजमान है.
सम्पर्क सूत्र-9899948475, 9810570747,0958249254
No comments:
Post a Comment