Friday, May 3, 2013

आज का विचार 3.5.2013जनकपुरी नई दिल्ली 58
धर्मशास्त्र श्रुतौ शाश्वत लालासम यस्य मानसं 
परमार्थ   स   एवेह   सम्यग्जानाति    नापर:

परम पूज्य श्रमण 108 श्री विशोक सागर जी मुनिराज ने आज 3.5.2013 श्री दिगंबर जैन मंदिर जनकपुरी-सी2 ,नई दिल्ली58 में कहा कि जिसका मन धर्मशास्त्र के सुनने में सदा लालसा युक्त रहता है वही इस जगत में परमार्थ को अच्छी तरह जानता है, अन्य नहीं.
विशेष >5मई को श्रमण विशोक सागर जी मुनिराज के ससंघ सानिध्य में नवग्रह विधान का आयोजन श्री दिगंबर जैन मंदिर सी-2ए जनकपुरी दिल्ली-58
सम्पर्क सूत्र >9958166684,09582492542





















































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