आज का विचार 18.3.2013 पालम गाँव नई दिल्ली45
परोपकरणं येषां जागर्ति ह्यदये सताम्
नश्यन्ति विषदस्तेषाम सम्पद: स्यु: पदे पदे
परम पूज्य श्रमण 108 श्री विशोक सागर जी मुनिराज ने आज 18.3.2013 श्री दिगंबर जैन शांतिनाथ मंदिर पालम गाँव नई दिल्ली-45 में कहा कि >जिन सज्जनों के ह्यदय में परोपकार करने की भावना जाग्रत रहती है, उनकी आपत्तियां नष्ट हो जाती हैं और पग-पग पर संपत्ति की प्राप्ति होती है.
परोपकार-शून्य मनुष्य का जीवन व्यर्थ है, क्योकि पशु का तो चमड़ा भी उपकार कार्य में लगता है,म्रत्यु उपरांत मनुष्य के शरीर का कोई भी अंश किसी के काम नहीं आ पाता. कहा गया है-जिस शरीर से धरम नहीं हुआ, यज्ञ न हुआ और परोपकार न हो सका, उस शरीर को धिक्कार है, ऐसे शरीर को पशु-पक्षी भी नहीं छूते. मनुष्य शरीर मृत्यु उपरांत किसी के कुछ काम नहीं आता, अत: उसे जीते जी उपकार कर लेना चाहिए. उसका यही उपकार ही उसके साथ जाएगा, दूसरों के साथ किया गया भला उसके मन को संतोष देता रहेगा.
परम पूज्य श्रमण श्री विशोक सागर जी ससंघ श्री दिगंबर जैन शांतिनाथ मन्दिर पालम गाँव नई दिल्ली45 विराजमान है.
सम्पर्क सूत्र > 09899406854,09810272038
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