Wednesday, March 13, 2013










आज का विचार 13.3.2013 वसंत कुंज नई दिल्ली 
नापितस्य   गृह  क्षौरम   पाषाने   गंधलेपनम 
आत्मरूपं जले पश्यन शक्रस्यापि श्रियम हरेत 

परम पूज्य श्रमण 108 श्री विशोक सागर जी मुनिराज ने आज 13.3.2013 श्री दिगंबर जैन महावीर मंदिर,बी-7वसंत कुंज, नई दिल्ली में कहा कि दूसरों के घर जाने वाला यथोचित सम्मान नहीं पाता, बेशक वह उसे कराने की क्यों न जाए.जैसे नाई के यहां जाकर बाल बनवाने वाला यजमान भी सम्मान नहीं पाता, अत: नाई से बाल बनवाना हो तो उसे अपने घर बुलाना चाहिए.आगे आचार्य श्री बताते हैं कि पत्थर पर चन्दन या सुगंध आदि लगाना,चन्दन और सुगंध की शोभा नष्ट करने वाली होती है क्योंकि पत्थर सुगंध की कद्र नहीं कर सकता. इसी प्रकार पानी में अपना प्रतिबिम्ब देखना भी व्यर्थ है, क्योंकि पानी आपकी सुन्दरता से प्रभाबित नहीं होता. 
परम पूज्य श्रमण श्री विशोक सागर जी ससंघ श्री दिगंबर जैन मन्दिर एयर फ़ोर्स दिल्ली केन्ट पालम दिल्ली-10 के लिए 14.3.2013को 4.30 बजे विहार होगा .यहां रात्रि विश्राम होगा.15.3.2013 सुबह7.30बजे श्री दिगंबर जैन पालम विहार के लिए विहार होगा 15,16,17 मार्च को वहीँ रहेगे. 
सम्पर्क सूत्र > 09899406854,09810674143,09312099136

1 comment:

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