Monday, February 18, 2013











आज का विचार 18.2.2013 श्रीदिगंबर जैन मुनिसुव्रतनाथ मंदिर से.15पार्ट1 गुड़गाँव [हरियाणा]
अतिक्लेशेन ये चार्था धर्मस्यातिक्रमेण तु
शत्रुणाम प्रणिपातेन ते ह्यर्था मा भवन्तु में 

परम पूज्य श्रमण 108 श्री विशोक सागर जी मुनिराज ने आज 18.2.2013श्री दिगंबर जैन मुनिसुव्रतनाथ मंदिर गुड़गाँव [हरियाणा ] में कहा कि क्लेश-पीड़ा देकर प्राप्त होने वाले,धर्म का उल्लंघन करके अर्थात अन्याय और पाप के आचरण से मिलने वाले तथा शत्रुओं के सामने झुक कर,आत्मसम्मान को नष्ट करके मिलाने वाला धन कभी वांछनीय नहीं होता.ऐसे धन को पाने की अपेक्षा उसका न पाना ही अच्छा है. विशुद्ध आचरण से प्राप्त धन ही अच्छा होता है.
मनुष्य धन कमाए मगर अन्यायपूर्ण धन में कभी मन न लगाए. मनुष्य को दृढ संकल्प करना चाहिए की अन्याय का धन घर में नहीं आने दूंगा . 

परम पूज्य श्रमण 108 श्री विशोक सागर जी मुनिराज ससंघ का 19.2.2013 को प्रात: 7.45 पर श्री दिगंबर जैन पार्श्वनाथ मंदिर बारादरी गुडगाँव [हरियाणा] के लिए मंगल विहार होगा जहाँ पर आचार्य श्री धर्मानंदी मुनिराज ससंघ, बालमुनी श्री सौरभ सागर से मंगल मिलन होगा देखना न भूले .
सम्पर्क सूत्र >08882597474,09728217916

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