आज का विचार 15.11.2012 बस्सी [जयपुर] राज.
एकक्षरप्रदातारम यो गुरुं नाभिवंदत
श्वानयोनिशतं भुक्त्वा चाण्डालेषवभिजायते
परम पूज्य श्रमण 108 श्री विशोक सागर जी मुनिराज ने आज श्री दिगम्बर जैन पार्श्वनाथ बड़ा मंदिर मेन मार्केट बस्सी [जयपुर] राज. में कहा कि ब्रह्म का नाम ओम है अथवा तत्त्वमसि अर्थात तू ही ब्रह्म है .इस प्रकार एक मन्त्र के रूप में सच्चे तत्त्वज्ञान का उपदेश देने वाले गुरु की जो व्यक्ति वंदना नहीं करता, वह सौ बार कुत्ते की योनि में जन्म लेने के उपरान्त चाण्डाल योनि में उत्पन्न होता है .
नोट >प.पू. श्रमण 108 विशोक सागर जी मुनिराज ससंघ का 18.11.2012 को दोपहर 12.30
भव्य पिच्छिका परिवर्तन समारोह
आप सभी सादर आमंत्रित है
विशेष जानकारी के लिए फोन करे >09772726121 पर
No comments:
Post a Comment