Thursday, November 7, 2013

आज का विचार 07.11.2013 से.3 रोहणी दिल्ली-85

परम पूज्य श्रमण 108 श्री विशोक सागर जी मुनिराज ने आज 07.11.2013 श्री दिगंबर जैन पार्श्वनाथ मंदिर,दिल्ली-85 में मुनि श्री ने आज कहा कि यद्यपिसरसों, जल से भरा हुआ घट, वन्दनमाला, श्वेत छत्र, श्वेत वर्ण, राजा, कन्या और जय सूचक शब्द भी मंगल कहलाते हैं इनका मिलना कार्य-सिद्धि का सूचक है, परन्तु ये मुख्य मंगल नहीं-क्योकि ये निर्विघ्नता के सूचक है-विघ्न-विनाशक नहीं है. जिनेन्द्र के गुणों का स्मरण विघ्न-विनाशक है, पुण्योत्पतित में कारण है, अत: यह मुख्य मंगल है.
आचार्य ने ग्रन्थ के प्रारम्भ में सर्वप्रथम जिनेन्द्र भगवान के गुणों का स्मरण कर उनको नमस्कार किया है.शास्त्र के प्रारम्भ में मंगलाचरण करने से शीघ्र विद्या का लाभ, मध्य में करने से शास्त्र की निर्विघ्न समाप्ति और अंत में करने से विद्या का फल [अज्ञान का नाश] प्राप्त होता है. 

विशेष > श्रमण मुनि श्री108विशोक सागर जी ससंघ श्री दिगंबर जैन पार्श्वनाथ मंदिर में विराजमान है.
8.11.2013को प्रात:8.30बजे परम पूज्य गणाचार्य श्री विराग सागर जी का 22वां आचार्य पदारोहण द
िवस मनाया जायेगा.
9से 18 नवम्बर तक श्री 1008कल्पद्रुम महामण्डल विधान का आयोजन
9.11.2013 को घटयात्रा,एवं ध्वाजारोहण आदि
10.11.2013को विधान के बीच में 10बजे मुनि संघ का भव्य पिच्छिका परिवर्तन समारोह,मंगल कलश का डॉ निकाला जायेगा,विराग ज्ञान वर्धक प्रतियोगिता का पुरूस्कार वितरण आदि कार्यक्रम 

सम्पर्क सूत्र-9899948475, 9810570747,0958249254