Thursday, June 18, 2009

मधुर भाषण

1.सत्पुरुषों की वाणी ही वास्तव में सुसिन्गध होती है :क्योंकि वह दयाद्र ,कोमल और बनावट से रहित होती है।
2.हृदय से निकली हुई मधुर वाणी और ममतामयी सिन्गध-दृष्टि में ही धर्म का निवास है।
3.नम्रता और प्रिय संभाषण -बस ये ही मनुष्य के दो आभूषण हैं अन्य नहीं।
4.यदि तुम्हारे विचार शुद्ध तथा पवित्र हैं और तुम्हारी वाणी में सहृदयता है,तो तुम्हारी पापवृति का क्षय हो जाएगा और धर्मशीलता की अभिवृद्धि होगी।
5. सेवाभाव को प्रर्दशित करने वाला विनम्र -वचन मित्र बनाता है ।

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