1.धर्म से मनुष्य को मोक्ष मिलता है और उससे स्वर्ग की भी प्राप्ति होती है,फिर भला धर्म से बढकर लाभदायक वस्तु और क्या है ?
2.धर्म से बढकर दूसरा और कोई भला काम नहीं,और उसे भुला देने से बढकर दूसरी कोई बुराई नहीं है।
3.सत्कर्म करने में तुम लगातार लगे रहो,अपनी पूरी शक्ति और पूर्ण उत्साह के साथ उन्हें करते रहो।
4.इर्ष्या,लालच,क्रोध और अप्रिय वचन -इन सबसे दूर रहो,धर्म की प्राप्ति का यही मार्ग है।
5.यदि तुम एक भी दिन व्यर्थ नष्ट किए बिना समस्त जीवन सत्कर्म करने में बिताते हो,तो तुम आगामी जन्म-मरण का मार्ग बंद किए देते हो।
6.केवल धर्म जनित सुख ही वास्तविक सुख है,शेष सब तो पीड़ा और लज्जा मात्र है।
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