आज का विचार 26.11.2012 बस्सी [जयपुर] राज.
दाने तपसि शौर्येवा विज्ञाने विनये नये.
विस्मयो न हि कर्तव्यो बहुरत्ना वसुंधरा.
परम पूज्य श्रमण 108 श्री विशोक सागर जी मुनिराज ने आज श्री दिगम्बर जैन पार्श्वनाथ बड़ा मंदिर मेन मार्केट बस्सी [जयपुर] राज. में कहा कि दानशीलता में, तप अनुष्ठान में, शूरवीरता में, विज्ञान में, विनर्मता में, और नीतिमत्ता में, अभिमान नहीं करना चाहिए, क्योंकि पृथ्वी नाना प्रकार के रत्नों से परिपूर्ण है.
अपने सद्कर्मो को लेकर जो अभिमान करता है, उसके सद्कर्म व्यर्थ चले जाते हैं इस संसार में एक से बढ़कर एक अच्छे कर्म वाले लोग भरे पड़े हैं.
दाने तपसि शौर्येवा विज्ञाने विनये नये.
विस्मयो न हि कर्तव्यो बहुरत्ना वसुंधरा.
परम पूज्य श्रमण 108 श्री विशोक सागर जी मुनिराज ने आज श्री दिगम्बर जैन पार्श्वनाथ बड़ा मंदिर मेन मार्केट बस्सी [जयपुर] राज. में कहा कि दानशीलता में, तप अनुष्ठान में, शूरवीरता में, विज्ञान में, विनर्मता में, और नीतिमत्ता में, अभिमान नहीं करना चाहिए, क्योंकि पृथ्वी नाना प्रकार के रत्नों से परिपूर्ण है.
अपने सद्कर्मो को लेकर जो अभिमान करता है, उसके सद्कर्म व्यर्थ चले जाते हैं इस संसार में एक से बढ़कर एक अच्छे कर्म वाले लोग भरे पड़े हैं.
प.पू. श्रमण 108 विशोक सागर जी मुनिराज ससंघ के सानिध्य में 20.11.2012 से 28.11.2012 तक
अष्टानहिका पर्व में सिद्धचक्र महामंडल विधान का आयोजन
आप सभी सादर आमंत्रित है
बाहर से विधान में बैठने वालो की आवास एवं भोजन की समुचित व्यवस्था है.
विशेष जानकारी के लिए फोन करे >09772726121
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