आज का विचार 25-11-2012 बस्सी
धर्माख्याने शमशाने च रोगिणाम या मतिर्भवेत
सा सर्वदैव तिष्ठेच्चेत को न मुच्येत बन्धनात
धर्म-विषयक कथा को सुनने पर, श्मशान में शवदाह को देखकर और रोगियों की
छटपटाहट को देखकर मानव-ह्यदय में परिवर्तन होता है, अर्थात वह उस समय संसार को और
सांसारिक माया-मोह को निरर्थक मानने लगता है, परन्तु वहां से
हटने पर उसकी निर्मल
बुद्धि फिर से उसी माया-मोह के जाल में ग्रस्त हो जाती है
धर्म सम्बन्धी कथा सुनकर
मनुष्य के स्वभाव में परिवर्तन होता है, परन्तु वह क्षणिक होता है.
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