Saturday, November 24, 2012

आज का विचार 24.11.2012 बस्सी [जयपुर] राज.
जल तैल खले गुह्यम पात्रे दानं मनागपि
प्राज्ञे शास्त्रं स्वयं याति विस्तारं वस्तुशक्तित:

परम पूज्य श्रमण 108 श्री विशोक सागर जी मुनिराज ने आज श्री दिगम्बर जैन पार्श्वनाथ बड़ा मंदिर मेन मार्केट बस्सी [जयपुर] राज. में कहा कि जल में तेल,दुर्जन के पास गुप्त रहस्य,सत्पात्र को दिया गया दान तथा बुद्धिमान को उपदेश रूप में समझाया गया शास्त्र आदि थोड़ा होने पर भी वस्तु की शक्ति से स्वयं विस्तार को प्राप्त हो जाते हैं.
हर किसी का अपना महत्त्व होता है,उसके महत्त्व को जानकर ही कार्य करना चाहिए.जल में तेल की एक बूंद डालते ही वह सारे पानी में फैल जाती है, ऐसा तेल की अपनी शक्ति के कारण होता है. घी की बूंद पानी में डालते ही सिकुड़ जाती है. दुष्ट व्यक्ति सर्प से भी भयंकर होता है.

प.पू. श्रमण 108 विशोक सागर जी मुनिराज ससंघ के सानिध्य में 20.11.2012 से 28.11.2012 तक


 
अष्टानहिका पर्व में सिद्धचक्र महामंडल विधान का आयोजन


 आप सभी सादर आमंत्रित है
बाहर से विधान में बैठने वालो की आवास एवं भोजन की समुचित व्यवस्था है.
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